Monday, November 21, 2011

कस्तूरी कुंडली बसे मृग ढूंढे वन माहि| ऐसे घट-घट राम है दुनिया देखे नाहि|| ..........................एकबार ईश्वर ने सब प्राणियों को बुलाया....परन्तु मनुष्य को जन बुझकर नही बुलाया.ईश्वर परमसत्य को मनुष्य के पहुँच से बाहर रखना चाहते थे.उन्होंने सभी प्राणियों से सुझाव माँगा कि परमसत्य को कहा छुपाया जाए.सबने अलग-अलग सुझाव दिए,लेकिन हर जगह मनुष्य की पहुँच स्थापित हो रही थी.बहुत देर बाद एक प्राणी ने कहा क्यों न परमसत्य को इन्सान के दिल में रखा जाए.उस प्राणी ने कहा कि इन्सान हर स्थान पर परमसत्य को तलासेगा,बस अपने अन्दर ही नही झाकेगा. यह बात एकदम सत्य है.....हम ईश्वर के खोज में भटकते रहते है....लेकिन अपने आत्म में जो बसा है उसे नही देख पाते.हमारी हालत कस्तूरी मृग की तरह है...जिस सुगंध की तलाश में वो भटकती रहती है.....वो उसके अन्दर ही बसी है.

Friday, November 18, 2011

आज जो देश की दुर्दशा है उसका बखान शब्दों में नहीं किया जा सकता है.देश की बागडोर एक ऐसे आदमी के हाथ सौपा गया जो खुद तो इमानदार है लेकिन अपने साथियों द्वारा देश की सम्पदा के लुट में उनके ऊपर नियंत्रण नहीं कर सका बल्कि अपने टीम में वकीलों की टोली बनाकर उनके बचाव में तरह-तरह के शब्द जाल बनाकर भरमाता है .किसी पर प्रधानमंत्री का नियंत्रण नहीं है.जिसको जो मन में आता है उसे बोलने के लिए उत्साहित किया जाता है.कोई कहता है कि इतने बड़े घोटाले में सरकारी सम्पति को कोई नुकशान नही हुआ.कभी राष्ट्रमंडल खेल घोटाला में उसके अध्यक्ष एवं दिल्ली सरकार को बरी किया जाता है.किसी को भी बेज्जत करना मामूली सी बात है.कभी अन्ना को' तुम', 'चोर','दगाबाज' कहा जाता है.कभी देश में आतंकबादी हमला होता है,सरकारी मशीनरी जाँच भी शुरू न कर पाए महाशयजी को बहुशंख्यक लोगो के हाथ नज़र आने लगते है.अब अन्ना के आन्दोलन में अमेरिका का हाथ नज़र आ रहा है.कभी रामदेव बाबा जैसा हश्र करने की बात कहते है.सरकार का मुखिया गांधीजी के तीन बंदरो की तरह आँख से नही देखना,कान से नही सुनना और मुंह से नही बोलने का रोले अदा करते है.
वश्तुस्थिति यही है कि नाव प्रधानमंत्रीजी के पास है उसपर लादे जीव-जंतु किसी दुसरे व्यक्ति के नामित है.जिनपर अनुशासन ,नियम कुछ भी लागु नही होता एवं पतवार मालिक के हाथ में है.प्रधानमंत्रीजी या तो आप पतवार मांग कर लीजिये या गद्दी छोर दीजिये.देश को बिना पतवार के नाविक कि तरह समुद्र में न डुबाये.मेरी यही प्रार्थना है.

प्यार को प्यार ही रहने दो कोइ नाम न दो.........

प्रेम ईश्वर की देन है,एक भाव है.जिस तरह ईश्वर हमारे शरीर के निर्माण करता है ठीक उसी प्रकार किसी के प्रति आत्मिक प्रेम भी ईश्वर की ही देन है,जिसे हम बदल नही सकते.हम चाहकर प्रेम नही कर सकते है.कभी मज़बूरी वश करना भी पड़े तो उसका बनावटीपन सबको दिखता है.प्रेम किसी भी जीव से हो सकता है,किसी रिश्ते की भी ये मुंहताज नही है.
जब एक स्त्री-पुरुष के बीच प्रेम पनपता है तो उसकी मंजिल होती है शादी.हमारे देश में स्त्री-पुरुष को प्रेम करने के लिए इस बंधन में बंधना जरुरी माना जाता है.ये सही है या गलत इसपर हम सबकी राय भिन्न-भिन्न होगी.भारतीय परंपरा के अनुसार विवाह एक सामाजिक बंधन है.जिसमे स्त्री-पुरुष का ही नहीं अपितु दोनों के परिवारों का भी मिलन होता है.समाज की सबसे बड़ी कुरीति जाति-प्रथा और कभी-कभी आर्थिक स्थिति में असामान्यता से भी प्रेम करने वालों को गुजरना पड़ता है.प्रेम तो निश्छल -निःस्वार्थ भावना है जिसका जाति या धन-दौलत से कोई लेना-देना नहीं है,क्योकि ये सब तय करने के बाद प्रेम हो ही नहीं सकता.यह तो आत्मा से उत्त्पन हुई भावना है.
समाज में नित-नए बदलाव हो रहे है,हर वर्ग के लोग शिक्षा के महत्तव समझने लगे है.हमारा दायरा बढ़ रहा है.लेकिन हम अपने-आप को बदलने में बहुत समय ले रहे है.हम पढ-लिख कर जब किसी मनचाहे मुकाम को पाने के बाद और ज्यादा रक्छात्मक रवैया अपनाते है.अपने -आप सपना बुनते है एवं उसे एक खुँटी मे टांग देते है.और सिर्फ उसी को सच् मानलेते है.समाज का विरोध सहने की शक्ति हम मे नही है.जबकी हम जानते है बदलाव का तो विरोध होता ही है.प्रेम किसी खुँटी कि मुंहताज नही है.ईश्वर की देन के साथ् खिलवार न करे........
सिर्फ एहसास है ये रूह से महसुस करो..... प्यार को प्यार ही रहने दो कोइ नाम न दो.........

Thursday, February 17, 2011

भारतीय रेल का सफ़र

सन 1853 में बॉम्बे गवर्नमेंट के मुख्य इंजिनियर जोर्जे क्लार्क को अपनी भांडुप यात्रा के दौरान बॉम्बे से ठाणे तक रेल चलाने का विचार आया.16 अप्रैल 1853 को उनका सपना पूरा हो गया जब 14 बोगियों में सवार 400 लोगों को लेकर ट्रेन अपह्रान 3 :30 को बोरीबंदर से रवाना हुई .15 अगस्त 1854 को पहली पैसिंजर ट्रेन हावड़ा से हुगली के बीच चली और इस तरह भारत में रेल परिवहन की शुरुआत हुई.
आज भारतीय रेल की 63465 कि.मी.लम्बी ट्रैक है और 7133 स्टेशन है.1951 में 6 ज़ोन थी इनके संचालन एवं देख-रेख के लिए और आज 16 रेलवे ज़ोन है.2 करोड़ लोग प्रतिदिन ट्रेन से सफ़र करते है.11000 ट्रेने हरदिन चलती है जिनमे 7000 पैसिंजर ट्रेन है.अमेरिका,रूस और चीन के बाद सबसे बड़ा रेल नेटवर्क भारत का ही है.
दार्जेल्लिंग हिमालयन रेलवे (जो नरोगेज कि बहुत पुराणी रेल व्यवस्था है) को युनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित किया गया है.निलगिरी पर्वतीय रेल को भी विश्व विरासत घोषित किया गया है.लाइफलाइन एक्सप्रेस भारतीय रेल की चलंत अस्पताल सेवा है जो दुर्घटनाओ एवं अन्य परिस्थितियों में प्रयोग कि जाती है.

Saturday, February 12, 2011

कल शुक्रवार 11 -02 -2011 को बहुप्रतीक्षित सिनेमा 'पटियाला हाउस' रिलीज हुई.सिनेमा के निर्देशक निखिल आडवानी है.यह एक पंजाबी परिवार की कहानी है,जिसकी पिछली चार पीढ़िया लन्दन में रहती आयी है.परिवार का मुखिया चाहता है कि उनका बेटा पारिवारिक व्यवसाय चलाये,परन्तु बेटा क्रिकेटर बनना चाहता है.पिता के विरूद्ध जाकर पहली बार उसे असफलता मिलती है.माँ बेटे का भावना को समझती है एवम उसका साथ देती है.दूसरी बार प्रयास करने पर उसे अप्रत्याशित सफलता मिलती है.मुख्य कलाकार अक्षय कुमार,अनुष्का शर्मा,ऋषि कपूर,डिम्पल कपाडिया इत्यादी है.संगीत शंकर, एहसान,लॉय का है.गीत अवन्ती दत्त गुप्ता ने लिखा है.विशाल ददलानी,ऋचा शर्मा,हर्द कौर,महालक्ष्मी अययर,जसवीर,शफाकत अमानत अली ,सूरज जगन इत्यादि के स्वर है.ऋषि कपूर एवम डिम्पल कपाडिया ने उम्दा किया है.बाकी कलाकार का काम भी अच्छा है.अक्षय कुमार अपने से आधी उम्र की अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के साथ भी जम रहे है. संगीत भी अच्छा है.साल 2010 अक्षय कुमार के लिए बहुत सफलता भरा नहीं था,देखते है इस फिल्म से उनका करियर ग्राफ ऊपर जाता है या नीचे आता है.
रुनु झा

Tuesday, February 8, 2011

श्रृंगी आश्रम

विस्फी प्रखंड मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है श्रृंगी ऋषि का आश्रम. यह मंदिर ग्राम के उत्तर-पूर्व दिशा में धौस नदी के तट पर स्थित है.यह मंदिर स्थानीय जनता की आस्था का पवित्र एवं प्रसिद्द केंद्र रहा है.
स्कन्द पुराण में श्रृंगी ऋषि की कथा वर्णित है.वाल्मीकि रामायण के अनुसार ऋषि श्रृंगी विभंडक ऋषि के पुत्र एवं महर्षि कश्यप के पौत्र
थे.राजा दशरथ के पुत्रेर्ष्टि यज्ञ में ऋषि श्रृंगी को बुलाने उनके द्वारा यज्ञाअनुष्ठान का वर्णन है.जिससे .राजा दशरथ को पुत्र -रत्न की प्राप्ति हुई थी.मिथिला ऋषि श्रृंगी के तपस्या का मुख्य केंद्र रहा है
जिन दम्पतियों की संतान सुख की कामना पूर्ण नही हो रही है वो यहाँ आकर "हरिवंश पुराण"विधिवत सुनते है तो उनकी कामना पूर्ण होती है.आज भी मिथिला में यह आस्था धूमिल नही हुई है.इस स्थान का ऐसा अद्भुत महत्व है कि सभी धर्मं संप्रदाय के लोगों की आस्था इसमें है.
1901 ई के सर्वे में इस स्थान का खतियान धर्मदेगा के नाम से उल्लेखित है जिसका अर्थ है कि यह एक धार्मिक स्थान है. दरभंगा-सीतामढ़ी रेलखंड पर टेकटार रेलवे स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है. टेकटार रेलवे स्टेशन और कमतौल स्टेशन के बीच
16 नंबर गुमटी के नजदीक 60 दशक में एक बोर्ड रेल विभाग ने लगा रखा है,जिस पर लिखा है "रामायण में वर्णित श्री श्रृंगी मुनि का आश्रम यहाँ से २किलोमेतेर उत्तर-पूर्व दिशा में अवस्थित है जहाँ केवल पैदल जाया जा सकता है".
यहाँ यह बताना भी जरुरी है कि जिस जगह में मंदिर स्थित है जमीन भूत पूर्व विधान पार्षद स्व .कुमार कल्याण लाल का था,इस मंदिर का न तो कोई मालिक है न ही कोई कमिटी है .भक्तजन ही यदा-कदा साफ- सफाई करते है ,लेकिन पूजा-पाठ प्रति दिन ग्रामीणों द्वारा कि जाती है. शिवरात्रि एवं शिव से सम्बंधित अन्य पर्व ग्रामीणों के सहयोग से धूम-धाम से मनाया जाता है.धार्मिक न्यास परिषद् का इस धार्मिक स्थल के संरक्षण का दायित्व बनता है.

सबसे पुराना बैंक

हमारे देश का सबसे बड़ा एवं पुराना बैंक है - भारतीय स्टेट बैंक.ब्रिटिश कल में ही 1806 ई. में बैंक ऑफ़ कलकात्ता की स्थापना की गयी थी.इसके बाद 1840 ई. और 1843 ई. में क्रमश:बैंक ऑफ़ बॉम्बे और बैंक ऑफ़ मद्रास की स्थापना की गयी.1870 ई. आते-आते इनके 50 ब्रांचों की स्थापना हो चुकी थी.इन बैंकों को अपने-अपने रिजन में मुद्रा बनाने का भी अधिकार प्राप्त था,परन्तु मूल्य निर्धारण ब्रिटिश सरकार करती थी.1921 ई.में इन तीनों बैंकों का विलय इम्पिरिअल बैंक में हो गया.इम्पिरिअल बैंक की शाखाए सिर्फ शहरों में ही थी.
15 अगस्त 1947 भारत को स्वतंत्रता मिली एवं 1951 ई. में पहली पंच्वार्शिये योजना बनी.तत्कालीन प्रधानमंत्री पं.नेहरु देश के हर छेत्र का विकास करना चाहते थे .भारत गाँवों में बसती है,इसलिए ग्रामीण भारत के विकास के बिना भारत का विकास संभव नही था.इन्ही बातों को ध्यान में रखकर 1955 ई. में इम्पिरिअल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक बन गया.स्थापना के समय 470 शाखाये थी.आज भारतीय स्टेट बैंक की 18000 शाखाये है,और 22000 ए टी एम है.अन्य 30 देशों में भारतीय स्टेट बैंक की 50 शाखाये है.2,20,000 कर्मचारी इसमें कार्यरत है.यह आज देश के बदलाव का माध्यम बन गया है .बही खाते की जगह आज कंप्यूटर आ गया है.बीमा,बैंकिंग हर छेत्र में यह आगे आ रहा है.गाँव या करीब के गाँवों में बैंक की शाखाये होने की वजह से किसानों को सूदखोरों से मुक्ति मिल रही है.आज पर्यावरण संरकछन के लिए भी भारतीय स्टेट बैंक बहुत काम कर रही है.
रुनु झा
जमशेदपुर.

Thursday, January 20, 2011

वरुण गाँधी की शादी

स्व.संजय गाँधी और मेनका गाँधी के सुपुत्र एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता वरुण गाँधी का विवाह मार्च 6 ,2011 को होने जा रहा है.वरुण गाँधी की होने वाली पत्नी का नाम यामिनी रॉय है.यामिनी पूर्व राजनयिक स्व. डॉ .सुनील रॉय एवं अरुणा वासुदेव की सुपुत्री है.स्व.सुनील रॉय मैक्सिको एवं अन्य देशों में भारत के राजनयिक थे. अरुणा वासुदेव NETPAC (Network for the promotion of Asian cinema) की संस्थापक एवं अध्याछा है.इस विषय में उन्होंने कई पुस्तके भी लिखी है.
यामिनी रॉय ने सत.स्टीफेंस कोलेज से तर्कशास्त्र में स्नातक किया है.उसके बाद उन्होंने पेरिस जाकर ग्राफिक एवं फाइन आर्ट का कोर्स किया.यामिनी का दिल्ली में ग्राफिक डीजाइन स्टूडियो है जिसका नाम इनकारनेशन है.
यामिनी शांतिनिकेतन छात्रा रही है . संयोग की बात है कि वरुण की दादी स्व.इंदिरा गाँधी ने भी कुछ समय के लिए शान्तिनिकेतन में अध्ययन किया था.