Wednesday, June 1, 2016

मायका











मायका
संयुक्ता जैसे ही खाने के लिए बैठी , उसने एक –एक करके अपने गहने उतारने शुरू कर दिए | पहले हार,फिर बाजूबंद....कंगन,मांगटीका..सब | 
सबलोग आश्चर्यचकित है...ये ऐसा क्यों कर रही है ?
वेंकटराव विजयनगरम के एक सम्मानित व्यक्ति है | उनकी दो बेटियाँ है, बड़ी श्रीहासा - छोटी संयुक्ता और एक बेटा है श्रीनिवास | श्रीहासा की शादी विजयवाड़ा के एक संभ्रात परिवार में हुआ था | संयुक्ता की शादी दूर के एक मामाजी ने यह कहकर करवाया था कि लड़का का बहुत बड़ा कारोबार है,परन्तु शादी के बाद पता चला कि सिर्फ एक किराने की दुकान है|
दोनों बहनों की आर्थिक स्थिति में ज़मीन-आसमान का अंतर था | इसका एहसास संयुक्ता को मायके आकर ज्यादा होता था | समय के साथ-साथ संयुक्ता के पति ने भी कड़ी मेहनत और लगन से व्यापार को काफी बढ़ा लिया था |
इसबार वह दो सालों बाद मायके आई थी| सबने बहुत उत्साह और सम्मान के साथ उसकी आगवानी की|
उसने गहने उतार कर टेबल पर रख दिया | थाली लेकर नीचे चटाई पर बैठकर खाने लगी| खाते हुए उसने कहा आपसब तो इन गहनों का सम्मान कर रहे है , मैं तो अभी भी वही संयुक्ता हूँ |

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