Friday, June 4, 2010

सीबीएसई का समाजवाद

CBSE १० वी बोर्ड की परीछाफल ग्रेड अनुसार प्रकाशित होने से बहुत बच्चों के मुख पर उदासी भी देखा चुकि मैं बहुत दिनों तक CBSE स्कूल में
पढाती थी .अतः बच्चों के मुख पर यह उदासी देख मेरे मन में भी कुछ शंका होने लगा, क्योंकि १०.३ ग्रेड अंक प्राप्त छात्रो से कुछ ९.६ या ९.८ अंक प्राप्त छात्र अधिक मेधावी थे. महारास्ट्र राज्य में प्रकाशित परिणाम अंक और ग्रेड दोनों दिया गया तो हमलोगों कि शंका सत्य ही था . उदाहरण के लिए कोई छात्र ३ विषय में ९९%अंक प्राप्त करता है अवं दो विषय में ९०% अंक प्राप्त करता है तो उसके प्राप्तांक का योग ४७७ हुआ एवं उसे ९.६ ग्रेड अंक मिला .वही दूसरी ओर एक छात्र को पांचो विषय में ९१% मिलता है जिसका योग ४५५ होता है तो उसे ग्रेड A1 मिलता है. अर्थातकुल प्राप्तांक में २२ अंक अधिक प्राप्त करने वाले छात्र का ग्रेड एवं अंक कम होगा. मुझे यह नहीं लगता कि एक के अंशु पे दुसरे खुसी किया जाए.वर्तमान वयवस्था हमे स्वतत्र भारत के उस समय का स्मरण करता है जब समाजवाद लेन के लिए अधिक आय वोलों पर अधिक एवं अवयभारिक कर का बोझ डाला जाता था.जिससे उसकी आय कम हो और कम आय वालों से अंतर कम रहे.यह देश के लिए कितना हानिकारक रहा ये सिब्बल जी जरुर जानते होंगे.
मेरा व्यग्तिगत अनुरोध है कि श्री कपिल सिब्बल से है कि अगर छात्रों में अताम्हात्य कम करने के उदेसय से यह किया गया इसे लागु रखा जाए पर समय-समय पर इसकी समिक्च्छा भी होनी चाहिए कि यह वयवस्था कितना कारगर रहा.परिणाम ग्रेड अनुसार ही निकले लेकिन १५ दिनों के बाद जब आत्महत्या कि प्रब्रिती साधारणतया शांत हो जाती है तब स्चूलों के माध्यम से छात्रों को प्राप्तांक भी उपलब्ध कराया जाए . जिससे मेधावी एवं अन्य छात्र अपनी उपलब्धि कि आकलन कर भविष्य के लिए योजना बनाये .

1 comment:

  1. The introduction of grading system in CBSE boards is truly a great step taken by Mr.Kapil Sibbal. But just like negativity walks side by side with a positive step,the grading system has brought its adverse affects with it. The step mentioned by Mrs. Runu Jha should undoubtedly be brought in process because for the benefit of few students,it would be unjust to neglect the hard work done by other students.

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